अखरती है अवैध कारोबार पर मौन सियासत

संवादसूत्र, सतरिख (बाराबंकी) : नगर पंचायत के बाजार मुहल्ले में चल रहा देशी शराब का ठेका ग्रामीणों के भारी विरोध के बाद भी नहीं हटाया जा रहा है। विभागीय अधिकारी ठेका अन्यत्र हटाने के लिए ग्रामीणों को मात्र आश्वासन दे रहे हैं। जबकि ठेका से थोड़ी दूर पर मंदिर और प्राथमिक विद्यालय संचालित है।


मुख्य बाजार होने से महिलाओं का आवागमन हर पल बना रहता है। कई बार बीच सड़क पर ही शराब पीेने लगते हैं।इससे त्रस्त नागरिक प्रदर्शन तक कर चुके हैं। निरीक्षक सतरिख ध्रुवकुमार सिंह का कहना है कि देशी शराब की दुकान हटाने का मुद्दा दो बार उठाया है लेकिन कोई लिखित शिकायत नहीं आई है।


जागरण संवाददाता, बाराबंकी : रामनगर क्षेत्र में मिलावटी शराब ने 23 जिंदगी ही नहीं छीनी बल्कि इन परिवारों की खुशियां भी गायब हो गईं। मिलावट शराब बनाने वालों के खिलाफ पुलिसिया अभियान के तहत शनिवार को रामसनेहीघाट पुलिस ने उस गिरोह के चार सदस्यों को गिरफ्तार किया है।


लेकिन, इस पर प्रभावी अंकुश के लिए इसके नेटवर्क की तह में जाकर मिलीभगत करने वालों पर भी कार्रवाई किया जाना जरूरी है। इस बड़ी घटना की वजह प्रशासन हर बार की तरह मिलावट करने वालों को ही मान रहा है और कार्रवाई भी इन्हीं तक सीमित है। व्यवस्था के लिए नासूर बन चुका यह कारोबार पुलिस-राजस्व टीम और सफेदपोशों की मिलीभगत से चलती है। इनके गठजोड़ पर शिकंजा कसे बगैर मिलावट के इस कारोबार से मुक्ति मिल पाना मुश्किल ही नहीं असंभव है। रामसनेहीघाट में पकड़े गए आरोपित कई बार जेल जा चुके हैं। इसमें से एक आरोपित एक पार्टी से पूर्व में जनप्रतिनिधि रहे नेताजी ने छुड़वाया था। कहा तो यहां तक जा रहा है कि एक चौकी प्रभारी को स्थानांतरित भी करवा दिया था।


जागरण संवाददाता, बाराबंकी : अवैध कारोबार से होनी वाली जनहानि और परिवारों का विलाप से भी सियासी दलों के नुमाइंदों का दिल नहीं पसीज ासका है। पहले धारूपुर के पटाखा फैक्ट्री विस्फोट में चार और अब रामनगर क्षेत्र में मिलावटी शराब पीने से 24 लोगों की जान जाने के बाद भी किसी राजनीतिक दल के प्रतिनिधि ने अवैध कारोबार पर पाबंदी या शिकंजा कसने को लेकर आवाज नहीं उठाई है।


उनकी सियासी सक्रियता सिर्फ मुख्यमंत्री का इस्तीफा मांगने और पीड़ित परिवारों से मुलाकात कर मदद का आश्वासन देने तक रही है। किसी जनप्रतिनिधि या पदाधिकारी ने पीड़ित परिवारों को एक चवन्नी मदद नहीं की है। सिर्फ प्रशासन की ओर से 18 पीड़ित परिवार को दो-दो लाख मुआवजे की चेक दी गई हैं। पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना जताने राज्यसभा सदस्य डॉ. पीएल पुनिया, सांसद उपेंद्र रावत, पूर्व मंत्री अर¨वद सिंह गोप, कांग्रेस नेता राज बहादुर सिंह, विधानमंडल दल के नेता अजय कुमार लल्लू, विधायक शरद अवस्थी, सतीश शर्मा, बैजनाथ रावत, पूर्व सांसद राम सागर रावत आदि नेता-जनप्रतिनिधि पहुंच चुके हैं। वेतन-भत्ता बढ़ाने को अक्सर एकजुट हो जाने वाले सभी दलों के सांसद-विधायक इस अवैध कारोबार पर पाबंदी को लेकर न तो मुखर हो हैं और न ही पीड़ित परिवारों को कोई मदद ही दी है। नेताओं का यह मौन पब्लिक को अखर रहा है। नेताओं का विरोध सत्तापक्ष को कटघरे में खड़ा करने तक सीमित रहा है।


बाजार मुहल्ले से नहीं हटा शराब का ठेका



मिलावट ही नहीं मिलीभगत पर भी कसे शिकंजा


अनाथ बच्चों की परवरिश की चिंतामिलावटी शराब पीने से रानीगंज के छोटेलाल व उनके तीन बेटों की मौत हो गई थी। इस परिवार के यही कमाने वाले थे। रविशंकर की पत्नी की पहले मौत हो चुकी थी। अब रविशंकर की मौत के बाद उसकी बेटियों राशि और परी अनाथ हो गई हैं। रजनीश की मौत के बाद उसके बच्चों शिवांक, शशांक व जान्ह्वी की देखभाल करने वाला कोई नहीं है। अकोहरा के मृतक राजेश के शगुन, माया, मधु तीन बेटियां हैं। इनकी परवरिश की जिम्मेदारी उसकी पत्नी पर आ गई है। ऐसे हालात अन्य बीस परिवारों के हैं।


अवैध कारोबारियों के खिलाफ नहीं मुखर हुए राजनीतिक दल, सिर्फ पीड़ितों के घर ढांढस बंधाने तक सीमित सियासी सक्रियता