वादसूत्र, बाराबंकी: भांजे आरुष का अपहरण कर 20 लाख की फिरौती मांगने वाले दोनों मामा ने उसे किसी प्रकार की तकलीफ नहीं होने दी। उसे दुलराया और खाना भी खिलाया। यही नहीं उसे पुलिस के दबाव में सुरक्षित छोड़कर भाग निकले। पहली कॉल तो परिवारजन को अपहरण की खबर पर विश्वास ही नहीं हुआ। भांजे से इतना प्यार होने के बावजूद अपहरण क्यों किया गया यह सवाल अनसुलझा है।
करीब साढ़े सात बजे हुए अपहरण के बाद करीब 10 बजे आरुष के नाना विश्वनाथ को अपहरणकर्ताओं ने फोन कर फिरौती मांगी थी। इसके बाद परिवारजन ने पहले स्कूल में पता किया तो आरुष के वहां न पहुंचने की जानकारी हुई। इससे घबराए परिवारजन ने तलाश शुरू की। इसी दौरान अपहरणकर्ताओं का फिर फोन आया तो वह पुलिस को बताने से भी डर रहे थे। हालांकि दोपहर बाद परिवारजन ने कोतवाली नगर में बच्चे के गुमशुदा होने की सूचना दी। शाम करीब पांच बजे परिवारजन ने अपहरण व फिरौती को सूचना दी तो हड़कंप मच गया। कड़ी मशक्कत के बाद सकुशल बरामद किए गए आरुष ने पुलिस को बताया कि उसे मामा ने बड़े आराम से रखा और उसे खिलाते-पिलाते रहे।
आरोपित मामा की करतूत से आरुष के परिवारजन बहुत आहत हैं। उन्हें विश्वास ही नहीं होता कि आरुष के साथ उसके मामा ऐसा करेंगे। हालांकि इस पूरे प्रकरण के पीछे फिरौती के अतिरिक्त कुछ अंदरूनी मामला भी बताया जा रहा है, लेकिन पुलिस इस बारे में कुछ भी बोलने से कतरा रही है। इसमें कुछ और लोगों की संलिप्तता की भी आशंका जताई जा रही है।
रातों-रात घोषित हुआ इनाम
पुलिस के हत्थे चढ़े आलोक और दीपक तिवारी के खिलाफ रातों-रात 25-25 हजार रुपये का पुरस्कार घोषित किया गया। फिरौती के लिए अपहरण के मुकदमे में दोनों का नाम प्रकाशित होने के बाद पुलिस अधीक्षक ने इन पर पुरस्कार घोषित किया था। एएसपी ने बताया कि इनका आपराधिक इतिहास खंगाला जा रहा है।