बच्चों के लिए काम करने वाली हर संस्था का पंजीकरण अनिवार्य

ज्य ब्यूरो, लखनऊ : बालकों के साथ होने वाले अपराध पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने विस्तृत प्रारूप तैयार किया है। इसके लिए किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) नियम-2019 का सृजन किया गया है। कैबिनेट ने इसे मंजूरी दे दी है। इससे अधिनियम-2015 के प्राविधानों का क्रियान्वयन स्पष्ट और पारदर्शी रूप में किया जा सकेगा।


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में लोकभवन में संपन्न हुई कैबिनेट की बैठक में इसके प्रस्तावों को मंजूरी मिली। राज्य सरकार के प्रवक्ता और ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा तथा स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने फैसलों की जानकारी दी। श्रीकांत ने बताया कि केंद्रीय किशोर न्याय अधिनियम की जगह इस नई नियमावली के सृजन को मंजूरी दी गई है। इसमें बच्चों के लिए कार्य करने वाली हर संस्था का पंजीकरण जरूरी है। बिना पंजीकरण के चलने वाली संस्थाओं पर सरकार का रुख बेहद सख्त होगा। इसमें किशोरों के प्रति अपराध का वर्गीकरण करते हुए सभी स्तरों पर जवाबदेही तय की गई है। हर तीन माह पर संबंधित जिले के डीएम इसकी समीक्षा करेंगे।


पूर्व में प्रचलित अधिनियम 2000 एवं सुसंगत नियमों के अन्तर्गत बालकों से संबंधित कानून एवं उसके व्यावहारिक क्रियान्वयन में आने वाली कठिनाइयों के दृष्टिकोण से बालकों के विरुद्ध एवं बालकों द्वारा किये जाने वाले अपराधों का वर्गीकरण नये नियमों में किया गया है। किशोर न्याय बोर्ड द्वारा कानून का उल्लंघन करने वाले बालकों से संबंधित जांचों का समयबद्ध निस्तारण का प्राविधान नये नियम में किया गया है।


बालकों से संबंधित संस्थाओं का पंजीकरण न होने की स्थिति में कठोर दंड की व्यवस्था की गई है। दत्तक ग्रहण (गोद लेने) के संबंध में वर्तमान नियम में एक पृथक अध्याय शामिल किया गया है जिसमें अनाथ बच्चों को सुपात्र दंपती को गोद दिये जाने के प्राविधानों में पारदर्शिता लाते हुए प्रक्रिया को बच्चों के हित में बनाया गया है। इन नियमों के क्रियान्वयन के लिए 46 विशिष्ट प्रारूप बनाये गए हैं।