कार्य पूर्ति प्रमाणपत्र न देना वित्तीय अनियमितता

संवादसूत्र, बाराबंकी : पिछले वर्ष कराए गए कार्यों का हिसाब अब ग्राम पंचायतों को देना होगा। पाई-पाई के हिसाब के लिए मुख्य विकास अधिकारी मेधा रूपम ने सभी ग्राम पंचायतों से कार्य पूर्ति प्रमाण पत्र मांगा है।


प्रमाण पत्र देने के लिए 30 मई तक का अल्टीमेटम दिया गया है। सभी सचिवों को नोटिस भेजी जा चुकी है। निर्धारित समय पर प्रमाण पत्र न देने वाली ग्राम पंचायतें अनियमितता की दोषी मानी जाएंगी।


जिले में 1166 ग्राम पंचायतों में आरसीसी, नाली खंड़जा, हैंडपंप मरम्मत व रीबोर, स्कूलों में शौचालय, आंगनबाड़ी में भी बेबी फ्रेंडली टॉयलेट में 14वें वित्त और राज्य वित्त आयोग की धनराशि खर्च हुई है। विकास कार्यों में 2018-19 में लगभग 300 सौ करोड़ से अधिक की धनराशि खर्च की गई है।


इसके अलावा अब तक 4 लाख 16 हजार शौचालय निर्मित कराए गए हैं, जिसमें 4 सौ 99 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। कुल मिलाकर तकरीबन का कहां-कहां प्रयोग हुआ, कितना धन किस काम में खर्च किया गया, कार्य की स्थिति क्या हैं।


इसके लिए मुख्य विकास अधिकारी ने ग्राम पंचायतों से कार्य पूर्ति प्रमाण पत्र मांगा है। अब ग्राम पंचायतों में खलबली मची हुई है कि बिल बाउचर कैसे प्रस्तुत करेंगे, जब बिना बिल के ही कार्य करा दिए गए। 30 मई तक कार्य पूर्ति प्रमाण पत्र मांगा गया है, इसके लिए जिला पंचायत राज अधिकारी ने ग्राम पंचायत सचिवों को नोटिस भेज दी गई है।


अल्टीमेटम दिया है कि यदि निर्धारित समय पर कार्य पूर्ति प्रमाण पत्र नहीं दिया जाता है मान लिया जाएगा, कि उस ग्राम पंचायत द्वारा अनियमितता बरती गई है। उस स्थिति में ग्राम पंचायतों से खर्च की गई धनराशि की रिकवरी कर ली जाएगी।


 


 


सभी ग्राम पंचायत कार्य पूर्ति प्रमाण पत्र समय से उपलब्ध करा दें, ताकि ग्राम पंचायतों में खर्च पैसों का पाई-पाई का हिसाब लिया जा सके। यदि पूर्ति प्रमाण पत्र नहीं देते हैं तो उनके खिलाफ रिकवरी की कार्रवाई की जाएगी। अनिल कुमार श्रीवास्तव , जिला पंचायत राज अधिकारी,बाराबंकी


 



2018-19 में हुए थे करीब 799 सौ करोड़ से ज्यादा का कार्य