इलाज पर ताला, मरीजों को धक्का मार निकाला अफरातफरी

जागरण संवाददाता, लखनऊ: पश्चिम बंगाल में डॉक्टर पर जानलेवा हमले के विरोध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) के आह्वान पर सोमवार को लखनऊ व उसके आसपास के जिलों के अधिकांश निजी चिकित्सक हड़ताल पर रहे। राजधानी लखनऊ के निजी अस्पतालों में जहां ओपीडी और ऑपरेशन थिएटर में ताला लगा रहा, वहीं जूनियर डॉक्टरों के काम न करने की वजह से संजय गांधी पीजीआइ, लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान और किंग जार्ज मेडिकल यूनीवर्सिटी (केजीएमयू) में भी सेवाएं चौपट रहीं। यहां जूनियर डॉक्टरों ने पर्चा काउंटर और ओपीडी के गेट बंद करा दिए। मरीजों को बाहर निकाल दिया गया। ऐसे में जहां 2600 मरीजों के ऑपरेशन टल गए, वहीं एक लाख से अधिक मरीजों को डॉक्टर को बगैर दिखाए ही लौटना पड़ा। जांचों के लिए भी मरीज भटकते रहे।


आइएमए की हड़ताल से राजधानी में इलाज के लिए हाहाकार रहा। यहां छोटे-बड़े करीब 1200 निजी हॉस्पिटल बंद रहे। डॉक्टरों के कक्षों में ताला लगा होने से इनकी ओपीडी से 66,000 मरीज लौट गए। वहीं एलोपैथ, आयुष के शहर में 2200 क्लीनिक हैं। इनमें रोजाना 44 हजार मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। यहां भी बंदी होने से मरीजों को मायूसी हाथ लगी। वहीं पीजीआइ, लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में नए मरीजों का पंजीकरण बंद रहा। इन दोनों संस्थानों से 1200 व 1100 मरीज बिना इलाज लौटे। वहीं केजीएमयू में जूनियर डॉक्टरों ने 9:45 पर पंजीकरण काउंटर बंद करा दिया। ऐसे में दूर-दराज से आए 4500 मरीजों को बिना इलाज वापस जाना पड़ा। यहां तीमारदारों और जूनियर डॉक्टरों के बीच भिड़ंत हो गई। वहीं पीजीआइ व लोहिया संस्थान में भी जमकर नारेबाजी हुई। सोमवार को राजधानी के सरकारी व निजी अस्पतालों में एक लाख 16 हजार, 800 मरीजों को इलाज नहीं मिल सका।


बाराबंकी व सुलतानपुर में निजी चिकित्सकों ने कामकाज ठप कर विरोध प्रदर्शन किया। जिला चिकित्सालय सहित सीएचसी व पीएचसी पर मरीजों की भीड़ रही। गोंडा में पैथोलॉजी सेंटर व डायग्नोस्टिक सेंटर भी बंद रहे। रायबरेली-अमेठी और अंबेडकरनगर में हड़ताल का सामान्य जनजीवन पर कोई खास असर नहीं पड़ा।


लखीमपुर में मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। बलरामपुर में सरकारी चिकित्सकों ने काली पट्टी बांध कर विरोध जताया, लेकिन उनके ड्यूटी पर मौजूद रहने से अस्पताल की चिकित्सा सेवा प्रभावित नहीं हुई। सीतापुर में सुबह से ही प्राइवेट नर्सिंग होम, क्लीनिक, पैथोलॉजी, डायग्नोस्टिक सेंटरों के ताले नहीं खुले। अयोध्या में निजी चिकित्सकों की हड़ताल की वजह से सरकारी चिकित्सालयों पर मरीजों का खासा बोझ नजर आया। समान्य दिनों में यहां करीब 1100 मरीज आते हैं, सोमवार को यहां 1450 मरीजों ने पंजीकरण कराया।


बहराइच और हरदोई में निजी चिकित्सकों के हड़ताल पर चले जाने का असर जिला अस्पताल में साफ दिखा। यहां चिकित्सकों ने शांति मार्च निकाल कर कलेक्ट्रेट में एडीएम को ज्ञापन दिया। पश्चिमी उप्र में भी हड़ताल असरदार रही। आगरा में जूनियर डॉक्टरों ने एसएन मेडिकल कॉलेज की ओपीडी बंद करा दी। निजी क्लीनिक और पैथोलॉजी लैब भी बंद रहीं। संबंधित खबरें 6


अनुचित हड़ताल संपादकीय पेज।



 


हड़ताल पर रहे डॉक्टर, केजीएमयू, पीजीआइ और लोहिया संस्थान में बंद रहा पर्चा काउंटर, ओपीडी से एक लाख मरीज लौटे 2632 ऑपरेशन टले


 


 


केजीएमयू में हड़ताल के दौरान इलाज कराने पहुंचे मरीज ' जागरण


'>>केजीएमयू में जूनियर डॉक्टरों ने बंद कराया पर्चा काउंटर, तीमारदारों से भिड़े


 


'>>दूर-दराज से धूप में आए मरीज रहे बेहाल


जांचों के लिए भटके 20 हजार मरीज


 


हड़ताल से पीजीआइ, लोहिया संस्थान व केजीएमयू में इंटरवेंशनल प्रोसीजर ठप रहे। ऐसे में कैंसर की बायोप्सी, एफएनएसी समेत कई जांचें मरीजों की नहीं पा पाईं। इसके अलावा निजी पैथोलॉजी, डायग्नोस्टिक सेंटरों की बंदी से हजारों मरीजों को जांच के लिए भटकना पड़ा।


ट्रांसप्लांट ठप, हृदय रोगियों पर आफत


 


राजधानी के चिकित्सा संस्थानों में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल से कैथ लैब की सेवाएं भी बेपटरी हो गईं। ऐसे में जहां ट्रांसप्लांट नहीं हो सका। वहीं दर्जनों हृदय रोगियों की एंजियोग्राफी, एंजियोप्लोस्टी नहीं हो सकी। पीजीआइ में पेस मेकर भी नहीं लग सके। ऐसे ही केजीएमयू व लोहिया संस्थान में भी पेस मेकर के दर्जनभर केस टाल दिए गए।


रात से खाली पेट, सुबह ऑपरेशन मना


 


डॉक्टरों की हड़ताल गंभीर मरीजों की जिंदगी दांव पर लगा दी। यहां के अस्पतालों में जनरल सर्जरी, प्लास्टिक सर्जरी, गैस्ट्रो सर्जरी, न्यूरो सर्जरी, आंको सर्जरी, यूरो सर्जरी, आथरेपेडिक सर्जरी के तमाम मरीज वार्ड में भर्ती रहे। ऑपरेशन के लिए उन्हें रविवार रात से ही डॉक्टरों ने भूखा रख दिया। वहीं सुबह ऑपरेशन टाल दिए गए। स्थिति यह रही कि निजी अस्पतालों में जहां 2400 मरीजों के ऑपरेशन नहीं हो सके। वहीं केजीएमयू में 162, पीजीआइ में 50 व लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में 20 मरीजों का ऑपरेशन नहीं किए गए। ऐसे में सोमवार को कुल 2,632 ऑपरेशन राजधानी के अस्पतालों में टाल दिए गए।


डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए कानून बनाने पर पुनर्विचार करेगी सरकार


 


नई दिल्ली, प्रेट्र: देश भर में डॉक्टरों के विरोध प्रदर्शन के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा है कि सरकार स्वास्थ्य केंद्रों में मेडिकोज की सुरक्षा संबंधित केंद्रीय कानून तैयार करने के मुद्दे पर पुनर्विचार करेगी। हर्षवर्धन ने कहा कि सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर उन्होंने किसी प्रकार की ¨हसा से डॉक्टरों और चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा के लिए विशेष कानून लागू करने का आग्रह किया है। इसके साथ ही भारतीय चिकित्सा संघ (आइएमए) द्वारा प्रस्तावित मॉडल कानून भी दिया है।