मिड-डे मील
ज्य ब्यूरो, लखनऊ : मिड-डे मील योजना के तहत जुलाई से बच्चों को स्कूल में महीने के आखिरी बृहस्पतिवार को भी ताजा और मौसमी फल मिलेंगे। अभी प्रदेश में राज्य सरकार की ओर से बच्चों को हर हफ्ते सोमवार को ताजा और मौसमी फल देने की व्यवस्था लागू है। अब केंद्र सरकार ने फ्लैक्सी फंड के तहत बच्चों को महीने में एक दिन और फल मुहैया कराने की मंजूरी दी है। महीने के आखिरी बृहस्पतिवार को अवकाश होने पर अगले शिक्षण दिवस में फल बांटे जाएंगे। बच्चों को फल सुबह स्कूल आते ही नाश्ते के तौर पर दिया जाएगा।
मध्याह्न भोजन प्राधिकरण के निदेशक विजय किरन आनंद की ओर से इस बारे में जिलाधिकारियों को निर्देश जारी कर दिये गए हैं। केंद्र सरकार के प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड ने 13 जून को फ्लैक्सी फंड के तहत बच्चों को महीने में एक दिन ताजा और मौसमी फल उपलब्ध कराने की मंजूरी दी थी। योजना के तहत प्रति छात्र एक फल वितरित किया जाना जिसके लिए चार रुपये की अनुमानित लागत आकलित की गई है। बच्चों को कटे फल जैसे कि पपीता, तरबूज और खरबूजा नहीं बांटे जाएंगे। किसी भी दशा में बासी, सड़े-गले व खराब फल नहीं बांटे जाएंगे। बांटे जाने वाले फल का वजन व आकार औसत होना चाहिए। यदि फल का आकार छोटा है तो उसकी संख्या बढ़ायी जाएगी। बच्चों को फल अच्छी तरह धोकर दिये जाएंगे। फल का वितरण विद्यालय प्रबंध समिति या मां समूह के सदस्यों की देखरेख में होगा। फल बांटने के लिए जारी की जाने वाली धनराशि 'फ्लैक्सी फंड-फल' नामक मद के तहत मध्याह्न भोजन निधि में भेजी जाएगी जिसे परिवर्तन लागत की तरह खाते से निकाल कर स्थानीय स्तर पर फल खरीदे जाएंगे।
'>>जुलाई से महीने के आखिरी बृहस्पतिवार को भी बांटे जाएंगे फल
'>>सुबह स्कूल पहुंचने पर नाश्ते के तौर पर मिलेगा