अन्नदाताओं की फूटी किस्मत धान की बालियों से फूटे अंकुर

20 हजार हेक्टेयर में रोपे गए थे अगेती धान , सारी फसलें नष्ट


संसू, बाराबंकी: फसलें बर्बाद होने पर अक्सर कहा जाता है कि किसान की किस्मत फूट गई। बाराबंकी में अगेती प्रजाति के धान की फसल को देख कर अन्नदाता के भाग्य पर तरस आता है। उस पर बिडंबना यह कि फसलों के नुकसान का 72 घंटे में ही आकलन होना चाहिए तभी मुआवजा मिलता है, लेकिन राजस्व व कृषि महकमे के अधिकारियों ने सप्ताहभर बाद भी क्षति की पड़ताल तक नहीं की। वहीं, भीगी धान की बालियों से अंकुर फूटने लगे हैं, जिसे देख किसान सिर पीटने को विवश हैं।


हरख ब्लॉक के इसरौली सेठ, अबहीपुर, तेजवापुर, ठाकुरपुरवा, बरेहटा, मसौली क्षेत्र के टेरा दौलतपुर, नेवादा, बांसा, अमदहा आदि गांवों में किसानों की अगेती फसल खासकर लालमती, बासमती व हाइब्रिड धान की कई अगेती प्रजातियां पिछले हफ्ते बारिश में गिर गईं थीं। इसरौली सेठ में सड़क किनारे स्थित खेतों में गिरी फसल में धान की बालियों में अंकुर फूट रहे हैं। किसान शिवकुमार से मुखातिब होते ही उनका दर्द जुबान पर आ गया। बोले, धान में अंकुर के रूप में हम किसानों की किस्मत फूटी है। चार बार फसल की सिंचाई की थी। जब पकने लगी तो ऐसी बारिश हुई कि फसल डूब गई। खेत में पानी भरा होने से फसल को काटकर पीटना मुश्किल है। फसल की क्षति का आकलन भी नहीं हो रहा। ऐसे में नुकसान का मुआवजा कैसे मिलेगा? जबकि फसल बीमा कंपनियां 72 घंटे में ही क्षति के आकलन की रिपोर्ट मानती हैं।