निरीक्षण में अधूरी मिलीं देवा मेले की तैयारियां

जागरण में छपी खबर का संज्ञान लेकर डीएम पहुंचे,14 तक सभी कार्य पूरा करने के दिए आदेश


 विशुनपुर (बाराबंकी) : मेला की अधूरी तैयारियों को लेकर दैनिक जागरण ने शुक्रवार के अंक में 'परिसर में गंदगी, नालियों में कूड़ा' शीर्षक से खबर का प्रकाशन किया। इसका संज्ञान लेकर जिलाधिकारी आदर्श सिंह ने शुक्रवार को मेला क्षेत्र में चल रही तैयारियों का जायजा लिया। यहां उनको आधी-अधूरी तैयारियां मिलीं। उन्होंने अफसरों को कड़ी फटकार लगाई। इस दौरान उन्होंने 14 अक्टूबर से पहले ही तैयारियां पूरी करने का अल्टीमेटम अधिकारियों को दिया है।


डीएम के साथ सीडीओ मेघा रूपम, एडीएम संदीप गुप्ता और अन्य अधिकारियों और मेला कमेटी के सदस्यों के साथ विभागवार कार्यों की समीक्षा की। अधूरे कार्यों को शीघ्र पूरा करने के निर्देश दिए। मेला क्षेत्र में सफाई व्यवस्था का भी जायजा लिया और पूरे परिसर को सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त रखने में कोई कोताही न बरतने के निर्देश दिए। जिलाधिकारी ने सांस्कृतिक मंच, हॉकी ग्राउंड सहित अन्य व्यवस्थाओं को भी देखा। उन्होंने मेले से जुड़ी सभी व्यवस्थाओं को अति शीघ्र पूरा करने के निर्देश दिए।


मेले की तैयारियों ने पकड़ी रफ्तार : देवा मेला की औपचारिक शुरुआत से पहले व्यवस्थाओं को अंतिम रूप देने का काम जोरों पर है। मेले की सफाई व्यवस्था चौकस करने के साथ ही अन्य व्यवस्थाओं को भी समय से पूरा करने की कवायद दिखी। 15 अक्टूबर से प्रारंभ हो रहे देवा मेला में सफाई के काम को पूरा किया जा रहा है। मेले में दुकानों के आने का क्रम भी तेज हो गया है। काफी संख्या में कंबल, खादी वस्त्रों और खाने पीने की दुकानें मेले में पहुंच चुकी हैं। मनोरंजन गली में झूले और मौत के कुएं तैयार हो रहे हैं। मेले की पहचान बन चुकीं कई लजीज व्यंजनों की दुकानें सज रही हैं।



 


बाराबंकी : देवा मेला परिसर का निरीक्षण करते डीएम डॉ. आदर्श सिंह ' जागरण


देवा : मेला में घोड़ा और गधे और खच्चर आने शुरू हो गए हैं। इसके शुभांरभ से पहले पशुओं की बाजार से मेला गुलजार होता है। यहां खच्चर भी दो लाख से लेकर 20 लाख तक बिकते हैं और आते हैं। यहां बाराबंकी के अलावा अन्य प्रदेशों और जिलों से भारी संख्या में व्यापारी पशुओं को लाते हैं। इनके इलाज के लिए विदेशी चिकित्सा शिविर लग चुका है। शुक्रवार को कन्नौज, बांदा, शाहजहांपुर, सीतापुर से गधे और खच्चर आ चुके हैं। इनकी देखभाल और सुरक्षा तथा इलाज के दृष्टिगत न्यूजीलैंड की एजेंसी ब्रुक और ब्रिटेन की डंकी सेंचुरी के तत्वावधान में शिविर लगा है। इसमें आने वाले खच्चर, गधे और घोड़ों का निशुल्क इलाज हो रहा है। देवा मेला में करोड़ों का व्यापार सिर्फ गधे, खच्चर और घोड़ों में होता है। विदेशी शिविर में गंभीर से गंभीर बीमारियों के इलाज की दवाएं मौजूद हैं। दिल्ली के डॉ. सुरजीत बताते है कि डंकी सेंचुरी संस्था बीते कई सालों से मेले में अश्व प्रजाति के पशुओं का इलाज करती आ रही है।


 


बाहरी बीमारी के रोकथाम के लिए टीम गठित : सीवीओ डॉ. सुभाष चंद्र जायसवाल ने बताया कि मेले में पशुओं का आना मेला शुरू होने के पूर्व ही हो जाता है। जिनकी चिकित्सा, संक्रामक बीमारियों से बचाव के लिए टीकाकरण पशुपालन विभाग द्वारा किया जाता है। पशु चिकित्साधिकारी देवा को नोडल अधिकारी बनाया है।