सभी अनुयायियों के अपने-अपने वारिस

जो रब है, वही राम है' से दिया ईश्वर एक का संदेश, धार्मिक बंधनों से दूर है दरगाह


देवा (बाराबंकी) 


सूफी संत के संदेश ही नहीं उनकी दरगाह भी सामाजिक सद्भाव और समरसता की मिसाल बनी हुई है। जैसे उनके संदेशों की छाप देश-दुनिया में विभिन्न पंथ-समुदाय के मानने वालों पर दिखाई देती है उसी प्रकार दरगाह भी सभी के लिए अहम है। सभी पंथों के मानने वाले वारिस में अपने आराध्य की छवि भी पाते हैं। उनके असंख्य अनुयायियों में किसी ने पीर के रूप में इबादत की तो किसी ने उनमें श्री कृष्ण की सुंदर छवि देखी। मजार पर सिजदे में झुकते सिरों के साथ ही वारिस-कृष्ण पिया के स्वर भी यहां की फिजाओं में सौहार्द का रस घोलते आ रहे हैं। 'जो रब है, वही राम है' के माध्यम से उन्होंने दुनिया को ईश्वर एक है का संदेश दिया।


देवा मेला वैसे तो हाजी वारिस अली शाह के वालिद सैय्यद कुर्बान अली शाह की याद में आयोजित होता है, परंतु इस दौरान श्रद्धा का प्रमुख केंद्र सूफी संत हाजी वारिस अली शाह की दरगाह ही रहती है। वारिस कुटी बेगूसराय बिहार के बाबा निराले शाह कहते हैं कि बिहार और पूर्वांचल के काफी हंिदूू श्रद्धालु सरकार की कृष्ण स्वरूप में आराधना करते हैं। वह आरती और भजनों से बाबा की पूजा करते हैं। निराले शाह बताते हैं कि धार्मिक बंदिशें मायने नहीं रखती।


होली पर उड़ते हैं सौहार्द के रंग : दरगाह पर आज भी ईद की मीठी सिवइयों के साथ होली पर सछ्वाव के रंग उड़ते हैं। देवा की होली की विशेषता यह है कि सूफी के आंगन में सभी धर्मों के लोग मिलकर होली खेलते हैं और होली कमेटी की कमान कई दशकों से शहजादे आलम वारसी के हाथ में है।


 


संसू, देवा: देवा का चूड़ी बाजार फिरोजाबाद के बाद सबसे सबसे बड़ा बाजार है। देवा मेले में फिरोजाबाद के करीब 80 व्यापारियों की दुकानें लगी हैं। यहां थोक भाव मे चूड़ियों की बिक्री होती है। दुकानों पर चूड़ियों के लच्छे (12-14 दर्जन) 30 रुपये से लेकर 100 रुपये तक उपलब्ध हैं।


मेले के दौरान यहां गोरखपुर, बस्ती, देवरिया से लेकर बहराइच, लखीमपुर तक दुकानदार खरीदारी के लिए आते हैं। दुकानदार जमील बताते हैं कि मेले में कई ट्रक चूड़ियों की खपत होती है। मेले में थोक के साथ ही फुटकर बिक्री भी अच्छी हो जाती है। रविवार को बाजार पूरी तरह सज चुका था और कुछ दुकानों पर बिक्री भी शुरू हो गई थी।


अव्यवस्था से बेहाल हैं व्यापारी: यापारी लईक, खलील, इमरान बताते हैं कि बाजार में अभी लाइट नहीं जली है। झाड़ू भी नहीं लगा है। अंधेरे में चोरों का भय रहता है। इससे व्यापारियों को परेशानी होती है।



देवा स्थित हाजी वारिस अली शाह की मजार


देवा मेला में लगा चूड़ी बाजार ' जागरण


कूड़े को फूंक रही नगर पंचायत!


देवा: रविवार को तासपुर के निकट डंप किए गए कूड़े से लपटें उठतीं दिखीं।नगर पंचायत में कूड़ा डं¨पग का स्थान नहीं है, जिसके चलते यहां निकलने वाला कूड़ा देवा-फतेहपुर रोड पर सड़क के किनारे डंप किया जाता है। भयारा मोड़ से तासपुर मोड़ तक डंप कूड़े से उठने वाली दुर्गंध से भी लोग परेशान रहते हैं।