अब मिलावटखोरों को जल्द मिल सकेगी सजा

 खाद्य पदार्थो व दवाओं में मिलावट से जुड़े मुकदमों की सुनवाई में अब तेजी आएगी। अब अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ऐसे मामलों की सुनवाई कर सजा देंगे। न्याय विभाग की ओर से दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं। हर जिले में ऐसे मामलों की सुनवाई अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सप्तम की अदालत में होगी।


खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग की अपर मुख्य सचिव अनीता भटनागर जैन ने बताया कि उत्तर प्रदेश में मिलावट से संबंधित 1559 मामले 1981 से न्यायालय में लंबित हैं। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वारा इन मामलों की सुनवाई करने से मामले का त्वरित निपटारा हो सकेगा और मिलावट का धंधा करने वालों को सजा मिलेगी। जिन जनपदों में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सप्तम नहीं हैं वहां सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश सुनवाई करेंगे। मालूम हो कि खाद्य पदार्थ या दवा के असुरक्षित श्रेणी में पाए जाने यानी पूरी तरह मिलावट पाए जाने पर दोषी को दस लाख रुपये का जुर्माना और उम्र कैद की सजा दी जाती है।