घोटालेबाज 165 कॉलेजों को लखनऊ प्रशासन की शह

लखनऊ : भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस के सरकार के दावे को उसके अधिकारी भी धता बता रहे हैं। लखनऊ विश्वविद्यालय से संबद्ध 165 निजी कॉलेज छात्रवृत्ति के 24 करोड़ रुपये नियम विरुद्ध ढंग से हजम कर गए। शासन ने वसूली के आदेश दिए, जिसे लखनऊ के प्रशासनिक अधिकारियों ने दबा दिया। समाज कल्याण निदेशालय ने पत्र लिखकर प्रशासन से विभिन्न ¨बदुओं पर रिपोर्ट मांगी है।


निजी शिक्षण संस्थानों में पाठ्यक्रमों के शुल्क निर्धारण की तय प्रक्रिया है। उसी के आधार पर समाज कल्याण विभाग द्वारा छात्रवृत्ति भेजी जाती है। 2016-17 में लखनऊ विवि ने प्रक्रिया का पालन किए बिना अपने से संबद्ध 165 कॉलेजों के पाठ्यक्रमों का शुल्क निर्धारण कर दिया। उसी आधार पर कॉलेजों ने छात्रवृत्ति भी ले ली। 2017-18 में यह मामला खुला। समाज कल्याण निदेशालय ने जांच कराई तो पता चला कि 24.076 करोड़ रुपयो अतिरिक्त गए हैं।


मार्च 2018 में शासन को पूरे मामले की जानकारी पत्र द्वारा दी गई। मुख्यमंत्री ने आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन (ईओडब्ल्यू) से जांच शुरू कराई। इस बीच निदेशालय ने कॉलेजों से वसूली के लिए तत्कालीन जिलाधिकारी को पत्र लिखा। लखनऊ विवि के कुलसचिव ने भी पत्र लिखा कि कॉलेज पैसा वापस न करें तो भू-राजस्व की तरह वसूली की कार्रवाई की जाए। प्रशासन ने सारी खतो-किताबत को किनारे कर कॉलेजों को संरक्षण दे दिया। चूंकि यह मामला हाईकोर्ट भी पहुंच चुका है, इसलिए अब उच्च न्यायालय की लखनऊ बेंच ने रिकवरी की जानकारी मांगी है। इस पर समाज कल्याण निदेशालय ने जिलाधिकारी को पत्र लिखा है।


विवि की भूमिका की भी जांच: माना जा रहा है कि वसूली की कार्रवाई यदि नहीं हो सकी तो इसमें विवि भी जिम्मेदार हो सकता है। नियम विरुद्ध तरीके से शुल्क निर्धारण विवि ने ही किया था। इस मामले में विवि की भूमिका की जांच के निर्देश भी दिए गए हैं।



 


बिना शुल्क निर्धारण के नियम विरुद्ध ढंग से ले लिए थे छात्रवृत्ति के 24 करोड़ रुपये, शासन के निर्देश पर भी नहीं की कॉलेजों से वसूली


'>>165 में से कितने शिक्षण संस्थानों ने अभी तक धनराशि वापस की है और कितनों ने नहीं?


 


'>>भू-राजस्व की तरह वसूली के लिए वसूली प्रमाण-पत्र जारी किए गए हैं या नहीं?


 


'>>वसूली की कार्रवाई शुरू नहीं हुई तो इसके लिए कौन-कौन अधिकारी-कर्मचारी जिम्मेदार हैं?


 


'>>आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन द्वारा की जा रही जांच की प्रगति क्या है?