इंसाफ मांगने सड़क पर उतरी दिल्ली पुलिस, मुख्यालय के बाहर नारेबाजी

तीस हजारी कोर्ट परिसर में हुई झड़प के बाद की गई कार्रवाई का कर रहे थे विरोध


 नई दिल्ली : वकीलों से हुई ¨हसक झड़प के बाद की गई कार्रवाई के विरोध में दिल्ली पुलिस के जवान मंगलवार को सड़क पर उतर आए। पुलिस मुख्यालय के बाहर हजारों की संख्या में पहुंचे दिल्ली के पुलिसकर्मियों ने प्रदर्शन किया। सुबह करीब नौ बजे से शुरू हुआ प्रदर्शन रात तक जारी रहा। मुख्यालय के दोनों तरफ सिर्फ और सिर्फपुलिसकर्मी नजर आ रहे थे। उन्होंने पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक से इस्तीफा मांगा। पटनायक ने पुलिसकर्मियों से ड्यूटी पर लौटने की अपील की। पुलिसकर्मियों का कहना है कि वे तब तक प्रदर्शन करेंगे जब तक उनकी मांगें नहीं मान ली जाएंगी। उधर, बार काउंसिल ने 48 घंटे के भीतर दोषी वकीलों पर कार्रवाई की बात कही है।


'पुलिस कमिश्नर कैसा हो किरण बेदी जैसा हो' : पटनायक के पूरे भाषण के दौरान जबर्दस्त नारेबाजी जारी रही। 'पुलिस कमिश्नर कैसा हो किरण बेदी जैसा हो' जैसे नारों के बीच पुलिस कमिश्नर को वापस लौटना पड़ा। जब पुलिस आयुक्त के आने के बाद भी प्रदर्शन खत्म नहीं हुआ तो पुलिसकर्मियों के परिजन भी प्रदर्शन में शामिल हो गए। बता दें 1988 में तीस हजारी कोर्ट में वकीलों और पुलिसकर्मियों के बीच संघर्ष हुआ था। उस समय किरन बेदी दिल्ली पुलिस में डीसीपी थीं। उन्होंने पुलिस वालों का साथ दिया था।


ऐसे बढ़ा विवाद : तीस हजारी कोर्ट परिसर में 2 नवंबर को लॉकअप के बाहर गाड़ी खड़ी करने को लेकर वकील और पुलिसकर्मी के बीच कहासुनी से विवाद शुरू हुआ। वकीलों का आरोप है कि पुलिस वालों ने एक वकील को लॉकअप में बंद करके मारा। वहीं पुलिस का कहना है कि वकीलों ने पुलिसकर्मियों को पीटा। संबंधित खबर 15


नई दिल्ली में वकीलों से हुई ¨हसक झड़प के बाद मंगलवार को दिल्ली पुलिस मुख्यालय पर बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों ने न्याय की मांग को लेकर प्रदर्शन किया ' ध्रुव कुमार



वकीलों पर दो मुकदमे दर्ज


साकेत कोर्ट के बाहर वकीलों द्वारा पुलिसकर्मी व आम जन से मारपीट के मामले में साकेत थाने में दो मुकदमे दर्ज किए गए हैं। अधिकारियों का कहना है कि वीडियो फुटेज जुटाकर आरोपितों की पहचान की कोशिश की जा रही है।


बीसीआइ ने चेताया, हड़ताल खत्म करें


बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने विभिन्न बार निकायों को पत्र लिखकर कहा है कि मारपीट में शामिल वकीलों की पहचान करें और सभी बार विरोध-प्रदर्शन समाप्त करें। अगर ऐसा नहीं होता है तो बीसीआइ इस पूरे प्रकरण से समर्थन वापस ले लेगी। बीसीआइ ने ऐसे अधिवक्ताओं का ब्योरा भी मांगा है, जो मारपीट में लिप्त रहे।


अफवाह के बाद और बढ़ा तनाव


दोनों पक्षों में विवाद इस हद तक बढ़ गया कि एक पुलिस कर्मी ने फायर कर दिया। इसमें एक वकील को सीने में गोली लग गई। इससे वकील की मौत की अफवाह फैल गई और वकीलों ने कोर्ट परिसर में खड़े वाहनों में तोड़फोड़ कर आग लगानी शुरू कर दी थी। बवाल के दौरान पहुंचे अतिरिक्त पुलिस बल ने लाठीचार्ज भी किया। वकीलों का आरोप है कि पुलिस ने वकीलों को चैंबर से निकालकर मारापीटा।


मुख्यालय पर तात्कालिक मांगें


'निलंबित पुलिसकर्मियों को बहाल किया जाए।


'पुलिसकर्मियों पर दर्ज सभी केस वापस लिए जाएं।


सीसीटीवी में दिख रहे जिस वकील ने पुलिसकर्मी के साथ मारपीट की है, उसे गिरफ्तार किया जाए।


'मारपीट की घटना में शामिल वकीलों के लाइसेंस रद किए जाएं।


यह चाहते हैं पुलिसकर्मी


'सभी स्तर के जजों की पुलिस सुरक्षा वापस ली जाए।


'¨हसा में शामिल सभी वकीलों पर आपराधिक मुकदमा चले।


'अदालतों और वकीलों से असहयोग।


'अदालतों में पूर्ण रूप से पुलिस सुरक्षा हटाई जाए।


'ट्रैफिक पुलिस वकीलों से कोई नरमी न बरते।


वकीलों और उनके स्टाफ की पुलिस कार्यालय में एंट्री बंद हो।


'पुलिसकर्मियों के लिए पुलिस प्रोटेक्शन एक्ट लागू हो।


'पुलिस अधिकारी व कर्मचारियों के लिए संगठन बहाल हो।


'दिल्ली सरकार को कोई पुलिसकर्मी सहयोग न करे।


नवंबर को अदालत परिसर में वकीलों के साथ हुई थी झड़प