कुशीनगर में रची जा रही थी बड़ी साजिश

 कुशीनगर के बैरागीपट्टी गांव में स्थित मस्जिद में किसी बड़ी घटना को अंजाम देने की साजिश रची जा रही थी लेकिन, उससे पहले ही मस्जिद में रखे बारूद से विस्फोट हो गया। सुरक्षा एजेंसियों की जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं लेकिन, पुलिस के आला अधिकारी कुछ भी बोलने से बच रहे हैं।


11 नवंबर को दोपहर बाद मस्जिद में विस्फोट हुआ था। विस्फोट इतना जोरदार था कि मस्जिद की खिड़की-दरवाजे टूट गए थे। उस समय जांच को पहुंचे एसपी से मौलाना ने इन्वर्टर की बैटरी फटने से धमाका होने की बात कही थी। हालांकि विस्फोट के बाद सुरक्षा एजेंसियों की जांच में यह बात सामने आई कि विस्फोट बारूद से हुआ। एजेंसियों का मानना है कि बारूद की मात्र करीब 10 किलोग्राम रही होगी।


बुधवार को मामले में गिरफ्तार मौलाना अजमुद्दीन उर्फ अजीम, इजहार अंसारी, आशिक अंसारी व जावेद अंसारी को पुलिस ने कोर्ट में पेश किया, जहां से सभी को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया। जांच में पता चला है कि पश्चिम बंगाल निवासी मौलाना अजमुद्दीन पांच वर्ष पूर्व मस्जिद में आया था। उसे छह हजार रुपये प्रतिमाह दिए जाते थे।


मुख्य आरोपित मऊ निवासी हाजी कुतुबुद्दीन अभी फरार है। पीडब्ल्यूडी से लिपिक पद से सेवानिवृत कुतुबुद्दीन ने ही मौलाना को मस्जिद की जिम्मेदारी सौंपी थी। कुतुबुद्दीन मस्जिद कमेटी का अध्यक्ष भी है। उसके नाती अशफाक की भूमिका भी है। अशफाक व उसकी पत्नी सेना में हैं। दोनों की तैनाती हैदराबाद में है। विस्फोट वाले दिन अशफाक अपने गांव में था। छानबीन में सामने आया कि विस्फोट के बाद अशफाक मौके पर पहुंचा। उसने ही मस्जिद में सफाई करा दी थी। सुरक्षा एजेंसियां जांच कर रही हैं कि क्या बारूद अशफाक के जरिये ही पहुंचा। पूछताछ में मौलाना अजमुद्दीन उर्फ अजीम ने बताया कि अप्रैल महीने में ही विस्फोटक लाया गया था, जिसे मस्जिद में इजहार, आशिक, जावेद व मुन्ना ने रखा था। इससे स्पष्ट हो गया है कि बारूद रखने का ताना-बाना हाजी कुतुबुद्दीन व मौलाना अजमुद्दीन ने बुना। बारूद रखवाते समय हाजी ने युवकों से कहा था कि जल्द ही बड़ा काम होने वाला है। बारूद स्टोर करने के पीछे की योजना के बारे में अधिकारी कुछ बोलने से बच रहे है।