नहरों की सफाई नहीं, बोआई शुरू

17 नवंबर से है पानी छोड़े जाने का है रोस्टर किसान पंप सेट से कर रहे सिंचाई


बाराबंकी : रबी की फसलों की बोआई चल रही है। लेकिन, नहरों में पानी तो दूर सिल्ट सफाई तक नहीं कराई जा सकी है। इससे किसान पंप सेट और तालाब से सिंचाई करने को विवश हैं। जबकि, 17 नवंबर से नहरों में पानी छोड़े जाने का रोस्टर है। हालांकि, सिंचाई विभाग सफाई कार्य शुरू कराने और 17 के बजाय 25 नवंबर को पानी छोड़े जाने का दावा कर रहा है। हर साल सफाई पर करोड़ों रुपये खर्च किए जाने के बावजूद ज्यादातर नहरें सिल्ट से पटी ही नजर आती हैं। मंगलवार को जागरण टीम नहरों की सफाई का सच जानने की कोशिश की तो नहरें सिल्ट से पटी और सूखी दिखीं। प्रस्तुत है रिपोर्ट..


सफाई की औपचारिकता: जिले में नहरों की सिल्ट सफाई हर दूसरे-तीसरे साल कराने की जरूरत होती है। बाराबंकी डिवीजन की नहरों की सफाई के लिए करीब पौने पांच करोड़ रुपये की डिमांड हर साल की जाती है, लेकिन इसके सापेक्ष डेढ़ से दो करोड़ रुपये ही मिलते हैं। इससे सभी नहरों की सफाई नहीं हो पाती। कभी रजबहा तो कभी कुछ माइनरों की सफाई करवाकर अफसर इतिश्री कर लेते हैं। अधूरी सफाई के कारण नहरों में पानी छोड़े जाने पर वह टेल तक तो नहीं पहुंचता बल्कि उफनाकर नहरों की कटान और फसलों की बर्बादी का कारण बनता है।


नहरों में उगी झाड़ियां : रामसनेहीघाट क्षेत्र बहरेला के किसान राम कुमार व पंकज ने बताया कि बहरेला माइनर की सफाई कई साल से नहीं हुई। गिरधरपुरवा निवासी अर¨वद पांडे ने बताया कि उनके गांव की माइनर में टेल तक पानी नहीं आता। दयारामपुरवा के पास बेलहा नहर में घास उगी है। असेना निवासी मनोज अवस्थी ने बताया कि सफाई न होने से माइनरें अक्सर कट जाती हैं। मेहंदा, लालपुर, राजपुर, हथौंधा व सनाकापुर होते हुए निकली माइनर की सफाई दो साल से नहीं हो सकी। मसौली क्षेत्र की ज्यादातर नहरें सिल्ट से पटी हैं। शारदा सहायक खंड 28 हैदरगढ़ की लाही रजबहा सिल्ट से पट गई है। रजबहा में झाड़ झंखाड़ उगी है। बहुता, टिकरी, गोयन व सिंदुरिया माइनर की भी सफाई नहीं कराई गई है।


तालाब के पानी से पलेवा : निंदूरा क्षेत्र की नहरों में पानी न होने से किसान तालाबों के किनारे पंप सेट रखकर उसके पानी से पलेवा करने को विवश हैं। रामनगर क्षेत्र में प्यारेपुर माइनर, छंदबल माइनर, बिलखिया माइनर व अम्लोरा माइनर सिल्ट से पटी है। किसान पंपिग सेट रखकर सिंचाई करने को विवश हैं।