प्रदूषण से लोग मर रहे, उम्र घट रही, यह जीवन के अधिकार का खुला उल्लंघन: सुप्रीम कोर्ट

कोर्ट ने पराली और कूड़ा जलाने पर रोक लगाने को कहा, पंजाब हरियाणा और उप्र के मुख्य सचिव तलब


नई दिल्ली : दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण के चलते दम घोंटू वातावरण पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अख्तियार किया है। कोर्ट ने कहा कि लोग मर रहे हैं, लोगों की आयु घट रही है और सरकारें नाकाम हैं। लोगों को मरने के लिए छोड़ दिया है, यह जीवन के अधिकार का खुला उल्लंघन है। किसी सभ्य समाज मे ऐसा नहीं होता। कोर्ट ने पराली और कूड़ा जलाने पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने का आदेश देते हुए चेतावनी भरे लहजे में दो टूक कहा कि अगर एक भी घटना हुई तो उसे कोर्ट के आदेश का उल्लंघन माना जाएगा और सचिव से लेकर ग्राम प्रधान तक जिम्मेदार होंगे। कोर्ट ने युद्ध स्तर पर प्रदूषण रोकने के उपाय लागू करने का आदेश देते हुए पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिवों को बुधवार को तलब किया है।


ये आदेश न्यायमूर्ति अरुण मिश्र और दीपक गुप्ता की पीठ ने दिल्ली में वायु प्रदूषण के मामले पर सुनवाई करते हुए जारी किये। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली घुट रही है। हर साल यही होता है लेकिन सरकारें प्रदूषण को काबू करने में नाकाम हैं। कोर्ट के आदेश के बावजूद राज्य सरकारें नगर निगम अपनी ड्यूटी में नाकाम हैं। वैज्ञानिक आंकड़े उपलब्ध हैं जो बताते हैं कि प्रदूषण के कारण लोगों की उम्र घट रही है। कोर्ट ने कहा कि जीवन के अधिकार के उल्लंघन को देखते हुए जिम्मेदारी और जवाबदेही तय करने का समय आ गया है।


कोर्ट ने कहा कि किसी भी किसान को इस आधार पर पराली जलाने का अधिकार नही है कि उसके पास अगली फसल के लिए कम वक्त है। जहां पराली जलती है उसके अलावा पड़ोसी राज्य भी प्रभावित होते हैं ऐसे में स्टेट मशीनरी से ग्राम पंचायत स्तर तक सभी की जवाबदेही बनती है। यह दुष्कृति (टार्ट) का अपराध है जो कि दंडनीय है। कोर्ट ने पराली जलने की हो रही घटनाओं पर तीनों राज्यों के मुख्य सचिवों को बुधवार को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया जाता है।


कोर्ट ने इसके अलावा आदेश दिया कि राज्य के मुख्य सचिव, जिलाधिकारी, तहसीलदार, संबंधित थाना, एसपी, आईजी और पूरी पुलिस और प्रशासनिक मशीनरी यह सुनिश्चित करें कि उनके यहां एक भी पराली न जले। अगर एक भी घटना हुई तो सचिव से लेकर पूरा एडमिनिस्ट्रेशन और सब जिम्मेदार माने जाएंगे। कोर्ट ने आदेश दिया है कि सभी ग्राम प्रधान और थाना सूची तैयार करेंगे कि कहां कहां किसने पराली जलाई। वे लोग सुनिश्चित करें कि एक भी पराली न जले अगर जली तो वे भी जिम्मेदार माने जाएंगे। संबंधित खबर 13



 


राजधानी लखनऊ में धुंध छंटने का नाम नहीं ले रही। सोमवार को भी सुबह से ही सूर्य के दर्शन नहीं हुए और धुंध के बीच ही बच्चों को स्कूल जाना पड़ा ' जागरण


अवध के जिले भी धुंध की चपेट में


 


जागरण टीम, लखनऊ : अवध क्षेत्र के जिले भी प्रदूषण और धुंध की गिरफ्त में हैं। पिछले पांच दिन से आसमान साफ नहीं है। सोमवार को अयोध्या में तो एक्यूआइ (एयर क्वालिटी इंडेक्स) 240 के पार पहुंच गया। ऐसे में लोगों को शुद्ध ऑक्सीजन भी मिलना मुश्किल हो गया है। सुबह-शाम इसकी मात्र ज्यादा रही। अवध क्षेत्र सीतापुर, लखीमपुर हरदोई, सीतापुर, बहराइच, श्रवस्ती, गोंडा, बलरामपुर, अंबेडकरनगर, सुलतानपुर, और बाराबंकी में सुबह धुंध ज्यादा रही। दिन में इसमें थोड़ी कमी आई जो शाम को फिर बढ़ गई। फैजाबाद, रायबरेली में इसकी मात्र ज्यादा रही।


दिल्ली सरकार से ऑड ईवेन पर मांगी रिपोर्ट


 


सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में प्रदूषण खत्म करने के लिए शुरू किये गए आड ईवन योजना पर सवाल उठाते हुए दिल्ली सरकार से रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट ने कहा है कि सरकार शुक्रवार तक रिपोर्ट दाखिल कर बताए कि इस योजना का क्या उद्देश्य है और इससे क्या फायदा हुआ। पिछली बार की तुलना करते हुए रिपोर्ट दे।


लखनऊ देश का चौथा सबसे प्रदूषित शहर


 


जासं, लखनऊ: मौसम विभाग के पूर्वानुमान से इतर सोमवार को प्रदेश की राजधानी में स्मॉग का संकट और गहराया गया। हर तरफ स्मॉग की मोटी चादर छाई रही। जैसे-जैसे दिन चढ़ा, धुंध बढ़ती गई। नतीजा यह रहा कि लखनऊ एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) 435 के साथ देश का चौथा सबसे प्रदूषित शहर हो गया। जबकि बागपत और गाजियाबाद 440 के साथ दूसरे, मुरादाबाद और हापुड़ 436 एक्यूआइ संग तीसरे सबसे दूषित शहर रहे। हरियाणा का जींद देश का सबसे प्रदूषित शहर रहा, जहां एक्यूआइ 448 रिकॉर्ड हुआ। मौसम विज्ञानियों का कहना है कि दिल्ली की ओर से आने वाली हवाएं प्रदूषण बढ़ा रही है। अनुमान है कि मंगलवार से कुछ राहत मिल सकती है।