सांस के जरिए शरीर में घुल रहीं भारी धातुएं

रूमा सिन्हा ' लखनऊ


एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) के उतार-चढ़ाव से भले ही हम प्रदूषण के पैमाने पर किसी शहर को आंक रहे हो, लेकिन चिंताजनक हवा में मौजूद वह भारी धातुएं हैं जो सांस के जरिए हमारे शरीर में पैबस्त हो रही हैं। भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान (आइआइटीआर) की ओर से जारी वायु गुणवत्ता की पोस्ट मानसून रिपोर्ट के अनुसार, शहर के नौ इलाकों में हवा का परीक्षण किया गया। इसमें लेड, निकिल, कैडमियम, कॉपर, जिंक कोबाल्ट, मैंगनीज, आयरन, कैडमियम, मैग्नीशियम, सोडियम व पोटेशियम काफी अधिक मात्र में मिले। परिवेशीय वायु में लेड और निकिल तो मानक के अंदर मिले। अन्य धातुओं के लिए चूंकि मानक ही नहीं निर्धारित हैं इसलिए यह कहना मुश्किल है कि वह मानक से कम हैं या अधिक।


आइआइटीआर के पर्यावरण अनुरक्षण डिवीजन के डॉ. एससी बर्मन का कहना है कि हवा में मौजूद इन धातुओं का लंबे समय तक एक्सपोजर सेहत को अवश्य ही नुकसान पहुंचाता होगा। हालांकि, इस बारे में विस्तृत अध्ययन की जरूरत है। उसी से पता लग सकता है कि ऐसी दूषित हवा हमें किन-किन रोगों की खाई में धकेल रही है। खास बात यह कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड न तो इनकी नापजोख कराता है, न ही शहरों के लिए बनाए गए एक्शन प्लान में इसका कोई जिक्र है।