घट गए क्रय केंद्र, किसान परेशान

 दरियाबाद (बाराबंकी) : सरकारी धान खरीद केंद्रों पर धान बेचने के लिए किसानों की भीड़ है। किसान को धान बेचने के लिए केंद्रों पर कई दिन का वक्त गुजारना पड़ रहा है। इस बार क्रय केंद्र घट जाने के कारण किसानों की दूरी के साथ दुश्वारियां बढ़ गई हैं। भीड़ को देखते हुए खरीद में तेजी लाने के साथ सुविधाएं बढ़ाने के दावे किए जा रहे हैं। हालांकि, किसानों की भीड़ कम होने के बजाए लगातार बढ़ रही है।


दरियाबाद ब्लॉक क्षेत्र में इस बार महज तीन केंद्र ही बनाए गए हैं। दो केंद्र विपणन व पीसीएफ के मथुरानगर में बनाए गए हैं। तीसरा केंद्र तहसील सिरौली गौसपुर क्षेत्र में आने वाले ब्लॉक क्षेत्र के गांव सिसौना में कर्मचारी कल्याण निगम का बनाया गया है। दरियाबाद के मथुरानगर से अलियाबाद के बीच कोई भी धान खरीद केंद्र नहीं बनाया गया है। 15 किलोमीटर दूरी से किसान को धान मथुरानगर ले जाना मजबूरी है। वहीं दरियाबाद या अलियाबाद से सिसौना धान ले जाने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। तौल शुरू होने पर टोकन व्यवस्था लागू की गई, लेकिन टोकन व्यवस्था हटाते ही केंद्रों पर भीड़ बढ़ गई। तौल में तेजी नहीं आ पाई।


विपणन केंद्र पर अब तक 205 किसानों से 50 हजार क्विंटल लक्ष्य के सापेक्ष 15 हजार ¨क्वटल ही तौल हो पाई है। सबसे ज्यादा भीड़ विपणन केंद्र पर नजर आ रही है। वहीं सिसौना के कर्मचारी कल्याण निगम पर 85 किसानों से 589 टन व पीसीएफ मथुरानगर पर 70 किसानों से 548 टन की खरीद की गई है। किसान संदीप, अशोक बताते हैं कि धान बेचने में मारामारी है। कई दिन इंतजार के बाद धान की तौल हो पाती है। किसानों का आरोप है कि सुविधाएं न के बराबर हैं। तौल में मनमानी होती है।


क्षेत्रीय विपणन निरीक्षक सुरेंद्र चौधरी ने बताया कि किसानों की भीड़ को देखते हुए तौल के लिए श्रमिक बढ़ाए गए हैं। पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर टोकन वितरित किया गया है। कागजात सत्यापन के पश्चात नंबर से ही तौल कराई जा रही है।


उठान व बोरी की समस्या : धान खरीद केंद्रों पर उठान की समस्या बनी हुई है। कहीं गोदाम फुल हो गए हैं, तो कहीं धान खुले आसमान के नीचे लगाना पड़ रहा है। मथुरानगर समिति पर हजारों क्विंटल धान खुले आसमान में तौल के बाद लगाया गया है। यहां पर उठान बहुत ही धीमी गति से हो रही है। इस बार तौल पुरानी बोरी में हो रही है। मिलर केंद्रों को बोरी उपलब्ध कराने में आनाकानी कर रहे हैं जिससे किसानों को परेशानी ङोलनी पड़ती है।