खेत में जलती मिली पराली दो किसानों पर एफआइआर

एसडीएम, तहसीलदार से स्पष्टीकरण तीन को प्रतिकूल प्रविष्टि


बाराबंकी : पराली जलाने पर पूरी तरह पाबंदी के बावजूद बुधवार की शाम जब डीएम को एक खेत में पराली जलती दिखी तो वह वाहन से उतरकर खेत तक जा पहुंचे। किसान और उसका पुत्र समझ नहीं पाए कि सामने कौन है? डीएम ने इस मामले में किसानों पर मुकदमा दर्ज कराने के साथ ही जुर्माना व एसडीएम व तहसीलदार से स्पष्टीकरण मांगा है। क्षेत्रीय कानूनगो, लेखपाल, सचिव, ग्राम पंचायत अधिकारी व हल्का सिपाहियों को प्रतिकूल प्रविष्टि देने के निर्देश दिए।


जिलाधिकारी डॉ. आदर्श सिंह बुधवार शाम एक कार्यक्रम से लौट रहे थे। तभी छेदानगर गांव के पास खेत में पराली जलती देखी। छेदानगर निवासी लायकराम व उसका पुत्र पंकज मेड़ पर पराली रखकर जला रहे थे। डीएम ने कहा कि पराली जलाने पर प्रतिबंध है। लोगों को जागरूक किया जा रहा है। आप पढ़े-लिखे लगते हो फिर भी पराली जला रहे हो। पंकज यह समझ नहीं पाया कि उसके सामने जिलाधिकारी ही खड़े हैं। उसने कहा मेड़ों में सांप-बिच्छू होते हैं। घास छीलने में खतरा रहता है। मजबूरी है क्या करें? इस पर डीएम को और गुस्सा आया और उन्होंने कार्रवाई की बात कही। डीएम ने इस मामले में एसडीएम सदर अभय कुमार पांडेय को कार्रवाई के लिए निर्देशित किया।


एसडीएम ने तहसीलदार विश्वमित्र को मौके पर भेजा। तहसीलदार ने बताया कि मौके पर लायकराम के अलावा जालिम के खेत में भी पराली जलाई गई। दोनों के खिलाफ सतरिख थाने में रिपोर्ट दर्ज करा दी गई है।



बंकी ब्लॉक के छेदानगर में खेत में जलती पराली देखकर मौके पर पहुंचे जिलाधिकारी डॉ. आदर्श सिंह ' जागरण


समस्याएं न सुलझने पर किसान देंगे धरना


संसू, हैदरगढ़ : किसानों की दिन पर दिन बढ़ती समस्या का समय से निस्तारण न होने से आक्रोशित किसानों ने तहसील पर धरना देने की तैयारी में जुट गए हैं। भाकियू तहसील इकाई ने एसडीएम योगेंद्र कुमार को पत्र दिया है।


तहसील अध्यक्ष अशोक सिंह ने कहा कि ज्ञापन में दर्शाए गए सभी 21 ¨बदुओं का हर हाल में 11 दिसंबर तक निस्तारण कर दिया जाए। अन्यथा हैदरगढ़, त्रिवेदीगंज व सिद्धौर ब्लॉक क्षेत्र के किसान 13 दिसंबर को तहसील पर धरना-प्रदर्शन करेंगे। यहां हरीराम पाल, संग्राम सिंह व मुन्ना लाल सहित ग्राम अध्यक्ष उपस्थित रहे। आरोप है कि किसान सम्मान निधि खाता में तकनीकी गड़बड़ी के कारण प्रदत्त धनराशि दूसरे के खाते में जा रही है। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के निर्माण में किसानों के खेत से ली गई मिट्टी का पैसा अभी तक नहीं मिला है।