सीबी नॉट मशीन से टीबी के रोगियों का होगा इलाज

सूरतगंज सीएचसी में 16 लाख की लागत से लगाई गई मशीन


, सूरतगंज (बाराबंकी) : सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सूरतगंज में अब टीबी रोगियों को बीमारी के मुताबिक वही दवा मिल रही है, जो उनके शरीर में मौजूद टीबी को खत्म कर सके। यह संभव हो रहा है, सीबी नॉट मशीन से। न केवल टीबी, बल्कि अन्य रोगियों को भी इससे मदद मिल रही है। टीबी रोगियों का सीबी नॉट मशीन (कार्टिरिज बेस्ड, न्यूक्लिक ऐसिड एम्प्लीफिकेशन) की सहायता से मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट (एमडीआर) टेस्ट किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग ने करीब 16 लाख रुपये की लागत से सीएचसी सूरतगंज में यह मशीन एक वर्ष पूर्व उपलब्ध करवाई है।


सीएचसी में लगी आधुनिक तकनीक सीबी-नॉट मशीन व एमडीआर से सीधा मुकाबला कर रही है। जांच के बाद महज दो से तीन घंटे में मरीज को रिपोर्ट थमा दी जाती है। इतना ही नहीं, कौन सी दवा सटीक होगी, इसकी जानकारी भी यह सीबी नॉट मशीन देती है। इस अस्पताल में पहले माइक्रोस्कोप के जरिए टीबी की जांच की जाती थी। एमडीआर टेस्ट के लिए मरीजों को जिला या लखनऊ में रेफर करने से उन्हें आर्थिक व शारीरिक परेशानियों का भी सामना करना पड़ता था।


मिल रही स्पेसिफिक दवा: टीबी रोगी के शरीर पर दवा काम नहीं कर रही तो सीबी नॉट मशीन की सहायता से उसका एमडीआर टेस्ट लिया जाएगा। टेस्ट की रिपोर्ट के आधार पर मशीन से पता चल जाता है कि कौन सी दवा मरीज के लिए बेहतर होगी। ऐसे में पीड़ित विशेष को स्पेसिफिक दवा दी जा रही, जिससे वह टीबी से जल्द ठीक हो सके।


मरीज बोले, विभाग का अच्छा प्रयास: अस्पताल में आए मरीज हरीश, कमलेश, रघुवीर का कहना था कि विभाग का लैब बनाना व नई मशीनें स्थापित करना उचित कदम है। इसे मरीजों को अच्छी गुणवत्ता जांच रिपोर्ट के हिसाब से दवा मिल रही है। ऐसे में मरीज जल्द से जल्द ठीक हो रहे है।


एक वर्ष में 719 पॉजिटिव केस: सीबी नॉट लैब टेक्नीशियन उमेश मिश्र ने बताया कि टीबी की जांच के लिए रोजाना अस्पताल में दर्जनों मरीज आते हैं। गत वर्ष एक जनवरी से 13 दिसंबर माह तक 1412 मरीजों की टीबी की जांच हुई, जिनमें से 719 मरीज पॉजिटिव पाए गए। 27 मरीज मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस (एमडीआर) के मरीज मिले हैं।


जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. एके वर्मा का कहना है कि यूरिन, ब्लड व मल को छोड़कर शरीर के अंदर पाए जाने वाले किसी भी लिक्विड सेंपल की जांच इस मशीन से की जाती है। इसमें टीबी के कीटाणु बहुत कम संख्या में होने पर भी चिन्हित हो जाते हैं। इस मशीन से चार जांचे एक साथ हो जाती है। जिसमें 120 मिनट का समय लगता है। जांच के दौरान 120 मिनट में बिजली कट जाने पर जांच में एरर आ जाता है। इसीलिए सीवी मशीन के साथ पॉवर बैकअप के लिए यूपीएस की सप्लाई भी दी जाती है। ताकि जांच बाधित न हो।