प्रभु श्री राम ने बताया आदर्श राज्य कैसा हो चंद्रशेखर यादव

निन्दुरा सवंदाता कृष्ण परिवार द्वारा मोहम्मद पुर खाला,भुड कुली  में आयोजित पांच दिवसीय श्रीराम कथामृत के द्वितीय दिवस द्वारिका सिंह यादव जी के शिष्य कथा व्यास चंद्रशेखर यादव ने रामराज्य प्रसंग को बड़े ही रोचक ढंग से प्रस्तुत किया| समस्त रामायणो के समान्याय से युक्त इस श्री राम कथा में अनेको ही  दिव्य रहस्यो  का उदगम किया गया| जिसमें आप लोग पूरी तरह अनभिग्य है  उन्होंने बताया कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के मार्गदर्शन में अयोध्या का राज्य सभी प्रकार से  उद्धत राम था|  लेकिन क्या यही रामराज्य की वास्तविक परिभाषा है तो इसका जवाब है नही| अगर  यही रामराज्य की सही परिभाषा है तो लंका भी तो भौतिक समृद्धि ऐश्वर्य सुव्यवस्थित  सेना  में  अग्रणी अग्रणी थी| परंतु फिर भी उसे रामराज समतुल्य नहीं कहा जाता| क्योंकि लंका वासी मानसिक स्तर पर पूर्णता अविकसित थे |उनके भीतर आसुरी प्रवृत्तियों का बोलबाला था वहां की वायु तक भी अनित अनुसार और पापो की दुर्गंध थी| जहां चारों और भ्रष्टाचार और चरित्र हीनता का ही साम्राज्य फैला हुआ था| राम के राज की बात  सुनते ही अक्सर मन में विचार आते थे कि  रामराज आज भी होना चाहिए |पर विचारणीय बात है कि रामराज  के राज्य की स्थापना होगी कैसे जिस  राम के विषय में  विषय में तुलसीदासजी ने रामचरितमानस में बड़े ही विस्तार से वर्णन किया| उन्होंने अपने राज्य की माध्यम से बता दिया कि एक आदर्श राज्य कैसा होना चाहिए |जहां की एक आदर्श राजा शासन कर रहा हो वहां के राज में हर इंसान धर्म संयम संयुक्त आचरण करता हो राम राम ,शास्त्र नीत भाव शास्त्रों में जो जीवन चार्य नीति थी जिस आचरण करने को लिखा था वैसा ही आचरण था |सबका राम जी के संपूर्ण शासन  व्यवस्था का आधार क्या था धर्म वह स्वयं मूर्तिमान धर्म है और इनके राज्य में हर जगह हर व्यक्ति हर वस्तु में एक चीज ही परिपूर्ण हो रही है धर्म राम राज्य में अपराधिक प्रवृत्ति या नहीं थी अपराधी प्रतियों का जन्म कहां से होता है |ठीक जैसे आप खड़ा पानी छोड़ देते हैं तो वह सड़ता है उसके सडने मात्र से ही उसमें मक्खी मच्छर कीटाणु पनपने लगते हैं |ठीक हमारा मन भी ऐसे ही है अगर इन में खड़े पानी की तरह कुछ आ सकती हैं और  व सुनाएं शेष रह जाती हैं तो हमारे स्वास्थ्य से पूरित हो तो वही स्वार्थ जनित ऐसी भावनाओं का पोषक होता है जो हमारे भीतर विपरीत मान्यताओं और आपराधिक प्रवृत्तियों को जन्म देती है लेकिन अगर मन में कोई विकृति ही नहीं है विचारों का खड़ा पानी ही नहीं है तो फिर आपराधिक प्रवृत्तियों को कोई आधार ही नहीं मिलता |इसलिए जो रामराज के लक्षण बताएं कि वहां स्मृतियों के अनुसार आचरण करने वाले लोग थे और धर्म आचरण में उतरे हुए थे तब बुराई का स्थान ही कहाँ | इसलिए कहा कि उस राम के राज्य में समाज के सुधार के  के लिए कोई दंड न्याय राम व्यवस्था की आवश्यकता नहीं थी  इस अवसर पर कथा के आयोजक मनोज कुमार यादव रिंकू यादव ननकून यादव सूबेदार  देशराज बिहारी राजकरण अनिल कुमार केदारी यादव सरबजीत आदि सैकड़ों की संख्या में भक्तगण उपस्थित रहे