बैराजों से लगातार छोड़े जा रहे लाखो क्यूसेक पानी से तटबंध बचाव के लिए बनाई गई एक ठोकर नदी की धारा में समा गई है,

 रामपुर मथुरा सीतापुर। बैराजों से लगातार छोड़े जा रहे लाखो क्यूसेक पानी से तटबंध बचाव के लिए बनाई गई एक ठोकर नदी की धारा में समा गई है,तथा सेंसिटिव पॉइंट के पास बनी प्रथम मुख्य ठोकर भी लगातार पानी मे धंसती जा रही है। आज जिले की नोडल ऑफिसर मिनिस्ती एस ने बचाव कार्य का जायजा लिया और आवश्यक निर्देश दिए। जिले की नोडल ऑफिसर मिनिस्ती एस ने बगस्ती ग्राम के निकट चहलारी घाट-गनेशपुर तटबंध के बचाव कार्य का निरीक्षण किया। आज रात्रि से ही क्षेत्र में हो रही भीषण बरसात के बावजूद वह करीब साढ़े ग्यारह बजे तटबंध पर पहुंच गई। क्योंड़ा घाट को नाव से पार करने के बाद ट्रैक्टर से बगस्ती तटबंध पर पंहुची। तटबंध की पटरी पर भीषण कीचड़ के कारण आवागमन अत्यन्त कठिन था,बावजूद इसके उन्होंने नाव के द्वारा भी कार्य की प्रगति जांची। लगभग आधी बची प्रथम मुख्य ठोकर को बचाने के लिए लगातार बोल्डर पत्थर डालने के निर्देश दिए। पूछने पर उन्होंने बताया कि अब तक हुआ कार्य संतोषजनक है। जबकि हकीकत यह है कि देर से शुरू हुआ बचाव कार्य पूर्ण न होने से तटबंध के कटने के खतरा लगातार बना हुआ है। कई वर्षों से कटाव का बिंदु बने करीब 50 मीटर का तटबंध अभी भी सुरक्षित नही कहा जा सकता है। चूंकि इसको बचाने के लिए बनाई गई ठोकर लगातार नदी में समाती जा रही है। जलस्तर बढ़ने के साथ ही इस ठोकर पर कटान तेज हो जाती है। इसी प्रकार एक ठोकर पूरी तरह से नदी में विलीन हो चुकी है। शाशन का करोड़ो रूपये प्रतिवर्ष इसी तरह नदी की धारा में बह जाता है। इसके बावजूद भी इस नदी के आस पास के गांवों पर खतरा मंडराता रहता है। इस संबंध में ग्रामीण दीपक तिवारी व रामफल ने बताया कि तटबंध बचाव कार्य की निगरानी केवल एक ही जेई कर रहे है,और बहुत कम लेबर लगाकर कार्य करवाया जा रहा है। 20 मई से शुरू हुए इस कार्य को यदि जनवरी-फरवरी से शुरू किया जाता तो हम सभी को तटबंध के कटने की चिंता न होती,और बार बार करोड़ो का व्यय भी न होता। तेज बहाव से कट रही ठोकर के कारण बंधे के पडोसी गांवो के लोग दहशत में है। बीती रात्रि से जलस्तर में शुरू हुई वृद्धि से पानी सरयू नदी के बाहर निकलने लगा है। नोडल ऑफिसर के साथ एसडीएम गिरीश झा,तहसीलदार अशोक कुमार, लेखपाल रविन्द्र व जितेंद्र भारती के अलावा जेई संजीव उपाध्याय आदि मौजूद रहे।