उन्होंने पैसा नहीं दिया, हमने तो दिया था, मगर तब भी हमको आवास नहीं मिला/ग्रामीण पैसा की मांग ग्राम प्रधान और सेक्रेटरी द्वारा ऐसा आरोप भी

 उन्होंने पैसा नहीं दिया, हमने तो दिया था, मगर तब भी हमको आवास नहीं मिला/ग्रामीण

पैसा की मांग ग्राम प्रधान और सेक्रेटरी द्वारा ऐसा आरोप भी ग्रामीणों ने लगाया।

ग्रामीणों का कहना है कि लिस्ट मेउनका मकान बना हुआ है लेकिन अभी तक मकान वास्तविक में कच्चा पड़ा हुआ है।

जी हां हम बात कर रहे हैं पासिन पुरवा गांव जो जिला सीतापुर के ब्लाक रामपुर मथुरा ग्रामसभा बासुरा की जहां ,प्राथमिक विद्यालय में जाने वाले बच्चे खाने के नाम पर एक दाना भी नहीं जानते। दलिया जी तो रहने दीजिए छात्रों का यह कहना है अभी तक विद्यालय जो उन्हें खाने को कुछ मिला ही नहीं जब से वे पढ़ रहे हैं।बच्चों का यह भी कहना है कि उनका विद्यालय यहां से 4 किलोमीटर है विद्यालय गांव में स्थित ही नहीं है उन्हें पड़ोसी गांव पढ़ने के लिए जाना पड़ता है जो 4 किलोमीटर दूर है और रास्ता बेहद जर्जर।कुछ ग्रामीणों का आरोप है कि ग्राम प्रधान और सेक्रेटरी ने कई बार उनसे रुपयों की मांग की रुपए देने पर भी उनका आवास उनको नहीं मिल पाया और कुछ लोगों ने उन्हें रुपया देने से मना किया तो उनका लिस्ट में तो मकान निर्माण हुआ है लेकिन वास्तविकता कुछ और ही है। गांव वालों का ऐसा मानना है कि एक पक्का मकान उनकी कल्पना ही है।ग्रामीणों ने कहा कि जब वह देना होता है तो लिस्ट में नाम आता है बाकी हर कहीं से हमारा नाम तो है लेकिन हमें कोई भी सुविधा अभी तक नहीं मिली। गांव में अधिकांश कच्चे एवं टूटे-फूटे मकान बने हैं। विकास से परे या गांव अपना अस्तित्व खुद में ढूंढता हुआ।