बाराबंकी रामनगर क्षेत्र के करिमाबाद (सिहाली)में चल रही श्रीराम कथा केद्वितीय दिवस प्रात:
संगीतमय श्रीराम कथा के प्रारंभ से पहले वैदिक मंत्रोच्चार के बीच मुख्य यजमान रामसनेही यादव जी द्वारा व्यास जी का विधिवत पूजन किया। पूजन पश्चात लखनऊ से पधारे कथा व्यास श्रद्धेय श्री चंद्रशेखर जी महाराज का स्वागत किया गया।श्रीराम कथा के द्वितीय दिवस कथा व्यास जी ने कहा कि दुनिया भर के कौए गंदगी में वास करते हैं परन्तु कागभुशुण्डीजी ने भगवान के जन्म के उपरान्त संकल्प किया कि जब तक भगवान पांच वर्ष के नहीं हो जाएंगे तब तक सब कुछ त्याग,मैं अवघ में ही वास करुंगा तथा राजा दशरथ के महल की मुडेरी पर बैठ भगवान की बाल लीलाओं के दर्शन कर जीवन धन्य करुंगा।कागभुशुण्डि जी ने संकल्प लिया था कि भगवान के हाथ का जो झूठन गिरेगा वही प्रसाद ग्रहण करूंगा। कहा कि कागभुशुण्डी जी कोई सामान्य कौवा नहीं थे। उनकी दक्षता का वर्णन करते हुए उन्होने बताया कि भगवान भोलेनाथ जी भी कागभुशुण्डीजी से श्री राम कथा सुनने स्वयं जाया करते थे। आगे की बाल-लीला में भगवान श्रीराम के घर में खेलने और राजा दशरथ के कहने पर माता कौशिल्या द्वारा धूलघूसरित प्रभू को उठाकर दशरथ जी के गोद में डालने का सुंदर प्रसंग सुनाया 'कथावाचक प्रवेश कुमार यादव ने कहा की प्रभु श्री राम का नाम लेने मात्र से ही मनुष्य धन्य हो जाता है। हमारे समाज में जो बुराइयां व्याप्त है उनका कारण शिक्षा का अभाव ही है, आज जो भारत में शिक्षा दी जा रही है वह संस्कृति के अनुरूप नहीं है। हमारी संस्कृति में शिक्षा धर्म से जोडऩे वाली, त्यागमयी जीवन जीने वाले व दूसरों का हित करने वाली शिक्षा होती थी।
बचपन का संस्कार व्यक्ति निर्माण में सहायक होता है हिन्दू धर्म में 16 संस्कार बताये गये हैं। इनमें नामकरण संस्कार भी है। यही संस्कार किसी भी बालक के व्यक्तित्व निर्माण में सहायक होते हैं। नाम ही मनुष्य का भाग्य भविष्य तय करता है पुजारी बाबा रामसनेही विनोद कुमार चौहान रामसहाय यादव राधेश्याम सुनील कुमार भूपेंद्र यादव की दिनेश कुमार पवन कुमार अशोक यादव राम कैलाश प्रधान राम प्रताप सिंह चंद्रशेखर आजाद एडवोकेट मनोज कुमार चौहान एडवोकेट से सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित रहे