ब्यूरो रिपोर्ट
महामारी ने इन गरीब बच्चों के हाथों से किताबों को दूर करके बाल श्रम जैसी खाई के कगार पर खड़ा करने का काम किया है। हम गरीब बच्चों की बात इसलिए कर रहे हैं की मध्यम वर्गीय परिवारों के बच्चों पास संसाधनों की उपलब्धता में ऑनलाइन शिक्षा प्राप्त करने का एक माध्यम उनके पास है लेकिन देश के तमाम गरीब मजदूर परिवारों के बच्चों के पास ऑनलाइन शिक्षा ग्रहण करने का मोबाइल लैपटॉप टेबलेट आदि कोई भी संसाधन नहीं है तथा जिस विद्यालय में वह पढ़ते हैं उन विद्यालय में ऑनलाइन जैसी पढ़ाई की कोई सुविधा नहीं है ऐसे में वही बच्चे जिनको हम देश का भविष्य मानते हैं उनका किताबो से रिश्ता टूटता जा रहा है।
नन्हे-मुन्ने बच्चों की आंखों में अगर आप देखेंगे तो आप पाएंगे कि तमाम बच्चे गलत आदतों के शिकार होते जा रहे है। इन समस्याओं को देखते हुए विज्ञान फाउंडेशन के प्रमुख श्री संदीप खरे के मन में एक विचार आया की लखनऊ की मलिन बस्तियों के बच्चों को फिर से किस तरह से शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ा जाए , इस सोच और उम्मीद के साथ कार्यकर्ताओं के साथ मीटिंग बुलाई गई जिसमें बस्तियों में वॉलिंटियर के माध्यम से छोटे-छोटे शिक्षा केंद्र चलाने की योजना बनाई गई इसको लेकर बस्तियों में वॉलिंटियर्स का चिन्हीकरण किया गया ,जिसमें अकबरनगर से 5 तथा जानकीपुरम से 7 शिक्षा केंद्रों को चलाने का निर्णय लिया गया जिसमें प्रत्येक सेंटर पर 10 बच्चों को सामाजिक दूरी बनाते हुए पढ़ाने व सिखाने की बात तय हुई। केंद्रों पर उन बच्चों को वरीयता दी गई जिनके पास टयूशन कोचिंग तथा शिक्षा प्राप्त करने का कोई जरिया नहीं है। इस प्रकार अकबर नगर में यह कार्य साजिदा जी के द्वारा तथा जानकीपुरम में उषा जी के द्वारा किया गया जिसके परिणाम स्वरूप जानकीपुरम में 70 बच्चों का चिन्हीकरण किया गया तथा अकबर नगर में 50 बच्चों का , इस तरह से 120 गरीब परिवारों के बच्चों को विज्ञान फाउंडेशन द्वारा सभी 120 बच्चों को क्रियान बुक, क्रियान कलर, पेंसिल बॉक्स , पेंसिल ,एरेजर, शार्पनर, 2 थ्री इन वन कॉपी मुहैया करवाई गई।
इन 120 बच्चों को निस्वार्थ भाव से पढ़ाने की जिम्मेदारी अकबरनगर से उमरा ,साबरा , आरती,उजमा, तथा सना के द्वारा ली गई वही जानकीपुरम में शिवांगी अग्रवाल,नव्या शुक्ला, आरती श्रीवास्तव, शिवांगी गुप्ता, अर्जुन कुमार, रकिया ,तथा उषा कश्यप बच्चो की पढ़ाई हेतु आगे आई । इन सभी वॉलिंटियर्स का बहुत-बहुत धन्यवाद और आभार जिन्होंने इस भयंकर महामारी के कठिन दौर में बच्चों को पुनः किताबों से जोड़ने हेतु सराहनीय कदम उठाया। सभी वोलंटियर शिक्षिको का संस्था द्वारा प्रशिक्षण भी करवाया गया जिससे की ये लोग बच्चों को बेहतर तरीके से पढ़ा सके।