महिलाओं को सहना नहीं कहना सीखना होगा


लखनऊ। विज्ञान फाउण्डेशन एवं एक्शन एड संस्था के संयुक्त तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय महिला हिंसा विरोधी पखवाड़ा के तहत गुरूवार को महिला श्रमिकों के साथ परिचर्चा आयोजित की गई। कार्यक्रम में महिला श्रमिकों ने खुलकर महिला हिंसा, लैंगिक भेदभाव, यौन उत्पीड़न, दहेज, बाल विवाह व नशा जैसी सामाजिक कुरीतियों को लेकर अपने अनुभवों को अतिथियों से साझा किया। 

परिचर्चा का आगाज रामरक्षा यादव जी ने करते हुए कहा कि हिंसा के कई प्रकार है। सिर्फ शारीरिक हिंसा ही नहीं मानसिक प्रताड़ना भी हिंसा के दायरे में आती है। महिलाओं को अपने हक और कानून की जानकारी रखना बहुत जरूरी है। जितेन्द्र कुमार जी ने कहा कि श्रम नियमों की जानकारी प्राप्त कर महिलाएं समान वेतन व कार्यस्थल पर सुविधाओं की प्राप्ति के लिए न्यौक्ता से प्रभावी पैरवी कर सकती है।

एचआरएलएन की असमा इज्जत ने कहा कि संविधान ने महिला एवं पुरूषों को समान अधिकार दिए है। महिलाओं को अपने अधिकारों की जानकारी रखनी जरूरी है। श्रमिक महिलाएं कार्यस्थल पर समान काम के लिए समान मजदूरी की मांग पूरे हक से करें। वहीं कार्यस्थल पर साफ पानी, शौचालय आदि सुविधाओं की मांग करें। यह कानूनी अधिकार है।

एचआरएलएन के मोहम्मद अमीक ने कहा कि कामकाजी महिलाएं पुरूषों से अधिक काम करती है। महिलाएं पुरूषों से इस बात को पूरे हक से कह सकती है। इसी प्रकार कार्यस्थल पर समान वेतन की भी मांग कर सकती है।


मडि़याव थाने से एस आई हरीशचंद्र ने कहा कि यौनिक हिंसा से महिलाओं को निजात तभी मिलेगी जब वे अपने बच्चों को दूसरे की मां-बहनों की इज्जत करना सिखाएंगी। उन्होंने उपस्थित महिलाओं से कहा कि अगर आप घरेलू हिस्सा की शिकार है तो तुरंत इसकी शिकायत पास की चौकी या थाने में करें। 1090 पर शिकायत कर भी समस्या का समाधान पाया जा सकता है।

इण्डिया लेबर लाइन के राज्य समन्वयक गुरू प्रसाद जी ने कहा कि दिहाड़ी करने वाली महिला श्रमिकों को लेबर अड्डों से लेकर कार्यस्थल पर गैर-बराबरी का सामना करना पड़ता है। किसी भी प्रकार के शोषण से बचने के लिए अपने हक और कानून की जानकारी होना जरूरी है।  

कार्यक्रम में मडि़याव थाने से कांस्टेबल सिम्पल, जैबा बानो, मुस्कान, रूखसार, रिजवाना, सूफीना, शाहबख्श सिंह, प्रियंका सिंह, साजिदा व उषा आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन प्रियंका सिंह ने किया।